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Monday, May 20, 2024

मंगल ग्रह पर किस तरह रह सकेंगे इंसान, जानिए क्या है वैज्ञानिकों का प्लान

“एस्ट्रोनॉट्स” मंगल ग्रह पर रह कर वहां रिसर्च कर सकें, तरह-तरह की नई जानकारी इकट्ठा कर सके इसीलिए नासा (NASA) मंगल ग्रह पर इंसानों को एक महीने या उससे ज्यादा दिन तक रोकने की तैयारी में लगा हुआ है।

इस मिशन को लेकर नासा के इंजीनियर और वैज्ञानिकों के बीच बड़ा मुद्दा यह बना हुआ है कि मंगल ग्रह पर एक महीने रह कर एस्ट्रोनॉट्स क्या करेंगे ? ऐसे कई सारे सवाल है जो इस मिशन को लेकर नासा के वैज्ञानिकों एवं इंजीनियर्स के मन में उठ रही है। आइए जानते हैं इनके बारे में।

वैज्ञानिकों के मन में सवाल

नासा द्वारा वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स को मंगल ग्रह पर भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस मिशन (Mission) में नासा (NASA) इंसानों को 1 महीने या उससे ज्यादा रोकने की तैयारी में लगा है लेकिन इस मिशन को लेकर नासा के इंजीनियर एवं वैज्ञानिकों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वहां वह 1 महीने रुक कर करेंगे क्या? पिछले महीने नासा ने एक मीटिंग बुलाई थी जिसमें यह तय हुआ कि मंगल ग्रह पर बनने वाले बेस पर मौजूद एस्ट्रोनॉट (Astronaut) क्या करेंगे? इस मिशन के तहत कौन-कौन से ऑपरेशन (Operation) होंगे एवं कौन-कौन से साइंटिफिक (Scientific) जांच किए जाएंगे।

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इंसानों से पहले रोबोट मिशन पर

मंगल ग्रह पर बनने वाले इंसानी बेस का नाम तय हो गया है। मंगल पर बनने वाली पहली इंसानी बेस का नाम “मार्स बेस 101” होगा। इस मिशन को लेकर सबसे मजेदार बात यह निकल कर सामने आई है कि नासा एस्ट्रोनॉट्स को भेजने से पहले एक रोबोट (Robot) को मिशन पर भेजेगा ताकि रोबोट के जाने के बाद पता चले कि मंगल पर जाने के लिए किस-किस तरह के उपकरणों की आवश्यकता होगी। वहां लंबे समय तक जीवित एवं स्वस्थ रहने के लिए एस्ट्रोनॉट को किन-किन चीजों की आवश्यकता होगी?

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एस्ट्रोनोट्स की शेड्यूल्ड होगी टाइट

ह्यूस्टन स्थित नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के एस्ट्रोमटेरियल रिसर्च एंड एप्लीकेशन साइंस डिवीजन के प्लैनेटरी साइंटिस्ट पॉल नाइल्स (Scientist Paul Niles) ने कहा कि 30 दिन मंगल पर रहने वाले एस्ट्रोनॉट को अपना काम आराम से करना होगा। मंगल पर जाने के बाद उनका शेड्यूल्ड बेहद टाइट होगा ताकि कम समय में भी हम ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा कर सके। पहले मिशन से रिसर्च करके आने के बाद मंगल पर और भी तरह-तरह के रिसर्च मिशन भेजे जाएंगे ताकि इंसानों की बस्ती मंगल पर बसाने के लिए मदद मिल सके।

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बेस्ट साइंटिस्ट मीटिंग में थे मौजूद

नाइस कहते हैं कि मंगल ग्रह को समझने के लिए हमें कई तरह की रिसर्च करने की जरूरत है जो वहां पहुंचने के बाद ही पूरी होगी। हमने दुनियां भर के बेस्ट (Best) वैज्ञानिकों को डेनेवरी में हुई 4 और 6 मई को हुई बैठक में बुलाया था। इस मिशन के बाद मार्स इंटीग्रेशन ग्रुप (Integration Group) बनाया गया था एवं मिशेल रकर (Mishel Rakar) इसके प्रमुख है।

पृथ्वी से मंगल की अधिक दूरी

रकर ने मीटिंग के दौरान कहा कि मिशन मंगल की सबसे बड़ी कठिनाई है धरती से उसकी दूरी। धरती से मंगल की अधिक दूरी होने के कारण मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने और लौटने में 2 साल या उससे अधिक समय का वक्त भी लग सकता है। हमने अभी तक किसी को भी इतने लंबे समय के लिए अंतरिक्ष में नहीं भेजा है। इतना अधिक दिन धरती से दूर बिताने के लिए मजबूत यान, इंधन एवं खाने-पीने की पूरी व्यवस्था रखनी होगी क्योंकि यात्रा लंबी होने की वजह से यंत्रों को भेजना आसान नहीं है। इंसानों को भेजना मुश्किल होगा।

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एस्ट्रोनॉट को रिलेक्स रहना ज्यादा ज़रूरी

धरती की तुलना में मंगल ग्रह पर 40 फ़ीसदी गुरुत्वाकर्षण (Gravity) की कमी है जिसके कारण इंसानों को खुद संभल कर चलना होगा एवं अपनी वस्तुओं को भी संभाल कर रखना होगा या ग्रेविटी के मुताबिक यंत्रों की डिजाइनिंग करनी होगी। गुरुत्वाकर्षण की कमी से एस्ट्रोनॉट को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है इसीलिए उन्हें रिलैक्स रहना होगा। खाना-पीना, सोना धरती पर अपने डॉक्टर से बात करना, गाना सुनना होगा ताकि वह वहां भी रिलैक्स फील कर सके और उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत न हो।

1 महीने से अधिक समय बिताना मुश्किल

पूरी दुनिया से मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बसाने के लिए एक साथ काम करने वाले लोगों को बुला लिया है। उन्होंने आगे कहा कि मंगल ग्रह पर एक महीना बिताना बहुत अधिक समय नहीं हुआ लेकिन हम इसे ऐसे तरीके से भी समझ सकते हैं कि इससे अधिक समय बिताने का हम उम्मीद नहीं कर सकते। मंगल पर अधिक दिन बिताने के लिए हमें इंसानों से पहले रोबोट और काग्रो भेजने होंगे। इंसान मंगल ग्रह पर जाने के बाद वहां पावर स्टेशन कम्युनिकेशन इन्फ्राट्रक्चर विकसित करके आएंगे ताकि धरती पर आने पर भी मंगल ग्रह से संपर्क बना रहा।

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इससे पहले भी कई मिशन सफल कर चुका है नासा

हम आपके जानकारी के लिए बता दें कि नासा का यह पहला मिशन नहीं है। नासा बहुत से ऐसे पहले मिशन चांद पर भेज चुका है। अपोलो मिशन के तहत नासा ने वैज्ञानिकों को बहुत कुछ सिखाया है। मंगल पर तरह-तरह की खोज एवं इंसानी बेस बनाने के लिए वहां एक महीना रहना पूरी दुनिया के लिए नई बात होगी। इस मिशन के तहत बहुत ज्यादा खर्चा होने वाला है। इस मिशन पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स एवं इंजीनियरों के लिए सुपरसूट्स, प्रेशराइज्ड रोवर बनाने होंगे जिसमें एस्ट्रोनॉट्स रह सकेंगे।

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Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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