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Thursday, May 2, 2024

पैसे के अभाव में बिना कोचिंग के, खुद की मेहनत से बन गए IAS: प्रेरणा

सफलता की राह में आर्थिक तंगी और गरीबी कभी आड़े नहीं आती, लेकिन इसके लिए लगन और कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है। मेहनत और लगन से हम सफलता की बुलंदियों को छू सकते हैं। खुद को कमजोर नहीं समझें। नकारात्मक सोच से बचें और असफलता से घबराएं नहीं।

असफलता से ही सफलता के द्वार खुलते हैं। असफलता को चुनौती के रूप में लें। अपनी कमजोरियों की पहचान कर उसे दूर करें और आगे बढ़ें । आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने गरीबी होते हुए भी हिम्मत नही हारी और सफल हुए।

कौन है गोपाल कृष्ण रोनांकी ?

गोपाल कृष्ण रोनांकी आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के पालसा ब्लॉक के एक छोटे-से गांव परसाम्बा के रहने वाले हैं। गोपाल बहुत गरीब परिवार से आते है। जब वह स्कूल में थे तब भी उनके घर में बिजली नहीं थी। परीक्षा को पास करने और अपने जुनून तथा सपने को साकार करने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष और कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उनकी तैयारी के लिए किसी भी कोचिंग संस्थान में शामिल होने के लिए उनके पास पर्याप्त धन नहीं था।

पिता हैं किसान।

गोपाल के पिता एक किसान हैं। उनके पिता शिक्षित नहीं हैं लेकिन उनके पिता ने उन्हें शिक्षा से कभी नहीं रोका। उनकी मां भी एक खेतिहर मजदूर हैं। कुछ राशि कमाने के लिए उन्हें बहुत काम करना पड़ता है। उनके माता-पिता दोनों बच्चों को शिक्षित करते हैं। उनके भाई आर के कोंडा राव एक बैंकर हैं और कुछ पैसे कमाकर अपने परिवार की मदद कर रहे हैं।

गोपाल की प्रारंभिक शिक्षा।

गोपाल अपनी पढ़ाई गवर्नमेंट जूनियर स्कूल, पलासा, आंध्र प्रदेश से पूरी की। 10 वीं कक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने विज्ञान का विकल्प चुना। अपना स्कूल पूरा करने के बाद उन्होंने 2 साल तक एक शिक्षक प्रशिक्षण किया।उन्होंने अपना प्रशिक्षण पश्चिम गोदावरी जिले के डबचारला में किया। उन्होंने 2006 में एक सरकारी शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की। उन्होंने विशाखापत्तनम में आंध्र विश्वविद्यालय से बीएससी (एमपीसी) पूरा किया।

सपना था आईएएस बनना।

उनका सपना था कि वह परीक्षा को पास करके आईएएस अधिकारी बने। उन्हें UPSC के परीक्षा में तीन बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। लेकिन गोपाल ने अपनी असफलताओं से हार नहीं मानी। वह अपनी असफलताओं से सीख लेकर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने कई सालों तक इसकी तैयारी की और काफी मेहनत के बाद आखिरकार उन्होंने अपना सपना साकार कर लिया। अंततः उन्होंने यूपीएससी में तीसरा रैंक हासिल किया।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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